भगवद्गीता: एक परिचय
भगवद्गीता, जिसे श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के पवित्रतम ग्रंथों में से एक है। यह महाभारत के भीष्मपर्व के अंतर्गत अध्याय 23 से 40 तक विस्तृत है और इसमें कुल 700 श्लोक संकलित हैं। यह ग्रंथ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जीवन के गूढ़ रहस्यों, नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिक ज्ञान का अनमोल स्रोत भी है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म, कर्म, भक्ति और ज्ञान का उपदेश दिया, जो संपूर्ण मानवता के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।
भगवद्गीता का संवाद कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में हुआ था, जब अर्जुन अपने कर्तव्य को लेकर मानसिक द्वंद्व में पड़ गए थे। उन्होंने अपने ही स्वजनों के विरुद्ध युद्ध करने से इनकार कर दिया, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश दिया और उनके संदेहों का समाधान किया। इस ग्रंथ में जीवन के परम सत्य, आत्मा की अमरता, कर्मयोग, भक्ति योग और ज्ञानयोग की अवधारणा को विशेष रूप से समझाया गया है। यह न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि एक दार्शनिक और प्रेरणादायक ग्रंथ भी है, जो व्यक्ति को अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक करता है और आत्मबोध की ओर ले जाता है। आज भी, भगवद्गीता का ज्ञान संपूर्ण विश्व में लोगों को प्रेरित करता है और उन्हें एक सही मार्ग दिखाने का कार्य करता है।