अष्टावक्र गीता: आत्म-ज्ञान और मुक्ति का मार्ग
अष्टावक्र गीता अद्वैत वेदांत का एक अद्वितीय ग्रंथ है, जिसमें आत्म-ज्ञान, मुक्ति और वैराग्य के गूढ़ रहस्यों का उल्लेख किया गया है। यह ग्रंथ राजा जनक और महर्षि अष्टावक्र के संवाद पर आधारित है, जहाँ अष्टावक्र राजा जनक को आत्म-साक्षात्कार का मार्ग बताते हैं। इसमें बताया गया है कि व्यक्ति स्वयं ही शुद्ध, मुक्त और पूर्ण है, लेकिन अज्ञान के कारण वह स्वयं को शरीर और मन से जोड़कर देखता है।
अष्टावक्र गीता संसार की असारता को समझाकर मनुष्य को उसके वास्तविक स्वरूप की पहचान कराती है और आत्म-स्वरूप में स्थित होने की प्रेरणा देती है। इसकी शिक्षाएँ सरल, स्पष्ट और निर्भीक हैं, जो सीधा सत्य को प्रकट करती हैं। जो भी व्यक्ति आध्यात्मिक मुक्ति की खोज में है, उसके लिए अष्टावक्र गीता एक अद्वितीय मार्गदर्शक है।